रविवार, 25 अक्तूबर 2015

मेरा दोस्त PAGE 1

मेरा दोस्त     पेज १


कहानी  एक छोटे से गॉव  से शुरू होती है , मेरे दोस्त ने अभी नाम बताने से  मना किया है
इसलिए मैं इस पात्र का  नाम  DD रख देता हूँ , DD  मेरे बचपन का दोस्त है  और वो मेरे बारे में
और मैं उसके बारे में सब कुछ जनता हूँ।
उसे देखकर मुझे कभी कभी  ताज्जुब होता था की  मेरे बराबर का एक छोटा  सा लड़का  इतनी
मेहनत कैसे कर सकता है।
हर काम में सबसे आगे , पढ़ाई में भी सबसे आगे , अपने माता पिता  की सेवा के लिए  सबसे आगे
उसके परिवार में  गरीबी की  परछाई आ गई थी।
पहले की तरह अब  कुछ अच्छा नहीं था , मैं जब भी उससे मिलता था  वो उदास उदास  सा रहता था
उसकी और मेरी उम्र  13 -14 साल की थी  वो चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था , उसके
मम्मी पापा भी  परेशान रहते थे।
उसके दिल में पढ़ाई करने की बहुत लगन थी  शहर में  उसके  एक रिस्तेदार के यहाँ वो  पढ़ने चला
गया , फिर कभी  कभी वो  गांव  आता था  , फिर कुछ दिनों बाद मैं  भी दूसरे शहर पढ़ाई के लिए चला गया
फिर हम लोग कभी कभार  मिला करते थे।
उसे म्यूजिक सुनने और वाद्य यंत्र बजाने का बहुत शौक था  उसने मुझसे कहा था कि मुझे  म्यूजिक डायरेक्टर
बनना है  कभी कभी वो तानपुरा उठा लेता था और बहुत सुर में बजाता था।
लेकिन परेशानिया और मुसीबतें  इतनी थी कि  उसे आगे बढ़ने का कोई रास्ता नजर नहीं आता था।
मैं उसे होसला जरूर देता था लेकिन मैं भी  परेशान था।  उसकी पढ़ाई जैसे तैसे चल रही थी कि
उसके घर की हालत इतनी खराब हो गई  की  उनके घर में  कभी कभी  खाने के भी लाले पड़े थे
 उसके पापा की जो जमीन हुआ करती थी वो  व्याज व्याज  चुकाने में चली गई जब  उसके परिवार
पर इतनी  सारी  मुसीबतों का साया  आया तो उसने पढ़ाई  छोड़ने  का फैसला किया।
और निकल पड़ा  नौकरी की तलाश में , अब बो उन्नीस  साल का हो चुका था  उसके दिल में एक
ही बात थी  की  उसके मम्मी पापा को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए, छोड़ दी उसने पढ़ाई
और शहर में जाकर फैक्ट्री  में काम करने लगा।
अगर उसके अड़ोसी पडोसी , चाचा चाची , दादी  अगर चाहते तो उसे अपनी पढ़ाई  नहीं  छोड़नी पड़ती
मगर किसी ने नहीं रोका , मेरे दोस्त ने  अपना भविष्य  अपना कॅरियर  सब कुछ अपने माँ बाप के लिए
न्योछाबर  कर दिया मगर आज भी  उसे  कोई समझता नहीं है।
उसके माँ  बाप भी मजबूर थे  दोनों की तबियत  अक्सर खराब ही रहती थी।
लेकिन मेरे दोस्त DD  ने  बहुत कमाल किया  19  साल की छोटी सी उम्र  में अपने  पूरे परिवार की जिम्मेदारी
अपने कंधे पर ले ली  , उसका एक छोटा भाई भी था , मगर उससे DD को कोई मदद नहीं मिलती थी , उल्टा
उसे ही परेशान करता था , सभी  परेशानियों को  चीर चीर कर मेरा दोस्त आगे निकला है।
पहला पेज कुछ ज्यादा ग़मगीन हो गया।

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